सोमवार, 20 जनवरी 2014

÷सूक्ति-प्रकाश÷(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि). सूक्ति-संख्या ७०-८०  तक.

                                              ||श्री हरिः||

                                        ÷सूक्ति-प्रकाश÷

(श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजके श्रीमुखसे सुनी हुई कहावतें आदि).
सूक्ति-संख्या ७०-८०  तक.

सूक्ति-७१.
पाणी पीजै छाणियो,गुरु कीजै जाणियो.
शब्दार्थ-
जाणियो(जाना-पहचाना हुआ ).

सूक्ति-७२.
गुरु लोभी सिख लालची दौनों खेले दाँव |
दौनों डूबा परसराम बैठि पथरकी नाव ||
- ÷ -
.आँधे केरी डाँगड़ी आँधे झेली आय |
दौनों डूबा … ?… …काळकूपके माँय ||

सूक्ति-७३.
जाणकारको जायकै मारग पूछ्यो नाँय |
जन 'हरिया' जाण्याँ बिना आँधा ऊजड़ जाय ||
शब्दार्थ-
ऊजड़ (बिना रास्ते,जंगलमें ).

सूक्ति-७४.
कह,गुरुजी ! बिल्ली आगी (घरमें ).
कह, आडो बन्द* करदे .
शब्दार्थ-
आडो बन्द करदे ( किंवाड़ बन्द करदे - यहाँ तो कुछ मिलेगा नहीं और दूसरी जगह जा सकेगी नहीं;)

*आजकल भी जो आकर चेला बन जाते हैं ,उनको गुरुजी आज्ञा दे-देते हैं कि दूसरी जगह सुनने मत जाना,तो उस शिष्यकी भी दशा उस बिल्लीकी तरह होती है  कि वहाँ तो कुछ (परमात्म-तत्त्व )मिलता नहीं और दूसरी जगह जा सकते नहीं |

सूक्ति-७५.
आकोळाई ढाकोळाई,पाँचूँ रूंखाँ एक तळाई.
दै रे चेला धौक, कह रुपयो धरदे रोक.

सूक्ति-७६.
कान्यो-मान्यो कुर्र्र्र्र्  , कह तूँ चेलो अर हूँ (मैं) गुर्र्र्र्र .
शब्दार्थ-
हूँ (मैं,स्वयं ).

सूक्ति-७७.
(कोई) मिलै हमारा देसी,गुरुगमरी बाताँ केहसी .
शब्दार्थ-
केहसी (कहेगा ).

सूक्ति-७८.
कह,मिल्यो कोनि कोई काकीरो जायो .

सूक्ति-७९.
कह,ओ तो म्हारे खुणींरो हाड है .
शब्दार्थ-
खुणीं (कोहनी,कोहनीकी हड्डी मजबूत,बड़े कामकी और प्रिय होती है ; अपने भाई आदि नजदीक-सम्बन्धीके लिये कहा जाता है कि 'यह तो मेरे कोहनीकी हड्डी है').

सूक्ति-८०.
कह, किणरी माँ सूंठ खाई है ! .
(सूंठ खानेवाली माँ का दूध तेज होता है; ऐसे ही धनियाँके लड्डू खानेवाली माँ के दूध बढ जाता है और जिस मनुष्यके गला बड़ा होता है,कोई चीज आसानीसे निगल ली जाती है , तो उसकी माँके दूध ज्यादा , पर्याप्त आता था (यह पहचान मानी जातीहै ).|

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