प्रसिध्द संत, श्रध्देय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराजने श्रीमद्भगवद्गीता पर हिन्दी भाषामें एक सरल टीका लिखि है,जिसका नाम है- साधक-संजीवनी।इसका अनेक भारतीय भाषाओंमें और अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओंमें भी अनुवाद हो चूका है तथा प्रकाशन भी हो गया है।जिन्होने ध्यानसे मन लगाकर पढा है,वे इस विषयमें कुछ जानते हैं और जिनको गीताजीका वास्तविक अर्थ और रहस्य समझना हो,उनको चाहये कि वे एक बार इसको समझ-समझकर पढे लेवें।
(यह साधक-संजीवनी ग्रंथ तथा उनके और भी ग्रंथ गीताप्रेस गोरखपुरसे पुस्तकरूपमें और इंटरनेट पर उपलब्ध है और ये कम्प्यूटर, टेबलेट,मोबाइल आदि पर पढने लायक अलगसे भी उपलब्ध है।)
http://sadhaksanjivani.com/
यह ग्रंथ गीता-प्रेस गोरखपुरसे प्रकाशित हुआ है और इंटरनेट पर भी उपलब्ध है-
http://www.swamiramsukhdasji.org/
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